Biography

संक्षित परिचय

नाम – प्रियांशु गजेन्द्र
वास्तविक नाम-गजेन्द्र कुमार सिंह
जन्म-०३-०३-१९७९
पिता का नाम – श्री कृष्ण कुमार सिंह
पता – ग्राम तोरईगाँव, पोस्ट डिगसरी,जिला बाराबंकी, पिन कोड – 225409
शिक्षा- परास्नातक (हिन्दी), एल0एल0बी0
दूरभाष – 09415587799 
ई मेल-priyanshugajendra11@gmail.com
प्रकाशन- साधना सुमन, साधनाम्बर, साधनाक्षर, साधनांजलि तथा साधना के स्वर(सामूहिक काव्यसंग्रह)
राष्ट्रधर्म, गुलाल, इन्दु, अवधज्योति, दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान, अमरउजाला, आदि पत्र पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाषन।
उपलब्धि- वियतनाम,नेपाल,दुबई सहित दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश,बिहार, महाराष्ट्र छत्तीसगढ़ आदि समस्त हिन्दी भाषी प्रदेशों में तथा विभिन्न समाचार चैनलों 
डीडी -1
आज तक,(k.v. Show) 3 episode
जी न्यूज़ (Kavi yuddh)
न्यूज़१८ (lapete me netaji)
न्यूज़ नेशन
शेमारू टी.वी. (वाह भाई वाह)
तथा
दैनिक जागरण , दैनिक भास्कर, हिंदुस्तान ,अमर उजाला,
आदि समाचार पत्रों द्वारा आयोजित समाचार पत्रों के साहित्यिक महोत्सवों में निरंतर सहभागिता
 
लालकिला सहित अनेक सरकारी ग़ैर सरकारी मंचों पर 2005 से अब तक निरन्तर काव्य पाठ एवं मंच संचालन
 
सम्मान –
❖ अखिल भारतीय  मंचीय काविपीठ द्वारा महामहिम राज्यपाल श्री केसरी नाथ त्रिपाठी के कर कमलों से युवा गीतकार ’’देवल आषीष’’ सम्मान।२०१४
❖ गीत चाँदनी’’ जयपुर द्वारा ’’गीत गन्धर्व’’ सम्मान।
❖ सरला नारायण ट्रस्ट द्वारा डॉ विष्णु सक्सेना सम्मान २०१९
❖ अनुरंजनी लखीमपुर उत्तरप्रदेश द्वारा ’’जागृति’’ सम्मान।
❖ राष्ट्रीय कविसंगम नईदिल्ली द्वारा ’’दस्तक’’ सम्मान।
❖ अवध भारती समित हैदरगढ बाराबंकी द्वारा ’’अवधश्री’’ सम्मान।
❖ बसन्त साहित्य संस्था बाराबंकी द्वारा ’’बाबा जगजीवन साहब स्मृति सम्मान के अतिरिक्त देश की विभिन्न हिन्दी प्रसारक समितियों द्वारा अनेक सम्मान प्राप्त।
योगदान –
➢ प्रकाशनसचिव-साधना साहित्य संस्थान बाराबंकी, उत्तरप्रदेश।
 
प्रियांशु गजेन्द्र हिन्दी की प्राचीन साहित्यिक परम्परा के हास्य कवि (गीतकार)हैं।उनके काव्य में प्राचीन भारतीय काव्य शैली का अनुगमन किया गया है।प्राचीन छन्दों के व्याकरणिक ज्ञान का प्रयोग तथा गीतों में अभिनव उपमानों के प्रयोग से उत्पन्न व्यंग्यात्मकता के साथ भारतीय प्रेम,अध्यात्म,दर्शन तथा भारत की सांस्कृतिक विरासत समाहित है ।उनका जन्म ९ फ़रवरी सन उन्नीस सौ बयासी में ग्राम तोरई गाँव में हुआ।प्रारम्भिक शिक्षा स्थानीय विद्यालयों में तथा उच्च शिक्षा डा.राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से हुई।हिन्दी साहित्य में परास्नातक तथा क़ानून में स्नातक प्रियांशु गजेन्द्र वर्तमान में बाराबंकी स्थित यंग स्ट्रीम इण्टर कॉलेज में प्रवक्ता पद पर कार्यरत रहते हुए लालक़िले सहित देश विदेश के मंचों पर तथा शेमारू टी०वी०,आज तक,जी न्यूज़,न्यूज़ १८,भारत समाचार,न्यूज़ २४,आदि टी०वी० चैनलों पर काव्यपाठ,कविसम्मेलनीय संयोजन तथा संचालन हेतु आमन्त्रित किए जाते हैं।
उन्हें लगभग दो घण्टे से अधिक काव्य पाठ का अभ्यास है,उनके काव्य पाठ की शैली सबसे अलग तथा मञ्चों की सफलता की गारण्टी मानी जाती है।
 
उनके प्रमुख चर्चित गीत हैं-
 
-सिया तेरा अभिशापित है राम।
-रात रात भर तुमको गाया सुबह छपे अख़बार में।
-नागफनियों की गली में फूल का व्यापार मेरा
-हम हैं राही प्यार भरे बाज़ारों के।
-कहो युधिष्ठिर इन्द्रप्रस्थ कैसा लगता है।
-कुरुकुल की है महारानी मेरी माँ है राधा रानी
-दो अधरों को तुमसे आशा है।
-देखा भी तो क्या देखा यदि देखा हिंदुस्तान नहीं।
-नयना कजरारे दुश्मन हुए हमारे
-कल चाह रहेगी न चाहने वाला।
-यहाँ न कोई राजा है यहाँ न कोई रानी है
-चुनरी ध्वजा सी लहरा रही है अम्बर में।
-राम अखिलेश्वर अलौकिक अनादि अन्त।
-इतने निर्मोही कैसे सजन हो गये।
इनके अतिरिक्त उनके तीन काव्य संग्रह शाकुन्तल(महाकाव्य)”नागफनियों की गली मे”गीत संग्रह तथा निर्मोही (मुक्तक,छन्द संग्रह) प्रकाशनाधीन हैं।